Wednesday, April 06, 2011

Old Poem

मुर्गी से आया है अंडा
या अंडे से मुर्गी आई है 
कविता ने कवी को बनाया है 
या कवी ने कविता बनाई है
दुविधा में हूँ फंसा हुआ 
क्या सच है क्या सचायी है

क्या सच की कोई परिभासा है 
क्या सच झूठ के बीच कोई रेखा है 
जो देखा है वोह सच है क्या 
क्या सच को किसी ने देखा है 

क्या वही है सच जो दीखता है 
या वोह जो आप समझते हैं
लकिन जो आप समझते है 
क्या आप उसे समझते हैं

मैंने सच को समझा नहीं 
जो समझा है समझा दे मुझे 
मैं उलझा हूँ उलझन मैं मेरी 
मुजको मुझेसे मिला दो हरे



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